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Saturday, May 18, 2013

फितूर मन !!


मन झुरतंय, मन कुढतंय 
मन रुंजतंय, मन गुंजतंय 

मन घेवून तुझा माग ..
मन लाजेनं गालांत खुलतंय !!


मन धावतंय, मन शोधतंय
मन हरवतंय, मन गवसतंय

मन पाहून तुला वळताना..
मन आनंदानं स्वप्नांत झुलतंय !!


मन आरवतंय, मन आक्रंदतंय
मन कातवतंय, मन तांडवतंय

मन गुंगून तुझ्या आठवांत..
मन दु:ख्खानं विरहात बुडतंय !!


मन खट्याळ, मन वेल्हाळ
मन मधाळ, मन पाल्हाळ

मन होऊन फितूर लबाड..
मन प्रेमानं तुझ्यात जुळतंय !!

-- संजय कुलकर्णी.




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