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Saturday, April 9, 2011

मोहे सम्भालों घनश्याम तुम गिरिधारी ... !




गोकुल वासी श्री कृष्ण मुरारी,

तीनोही काल तेरी महिमा न्यारी !



हारेहुवों पर कृपा दृष्टी तुम्हारी,

संसार में एक तुमही कष्टहारी !



आया शरण मै अब तुम्हारी,

जीवन उद्धारो प्रभु मर्जी तुम्हारी !


आस बुझाओ दर्शन की हमारी ,

मन में बसे मूरत तुम्हारी !



हर पल सुमिरन करू तुम्हारी,

बाते करू तो प्यारी तुम्हारी !



सांवली सूरत बड़ी प्यारी तुम्हारी,

प्रियसखा हमारे तुम श्रीकृष्ण हरी !



मायामोह में झपेटे हम संसारी,

मोहे सम्भालों घनश्याम तुम गिरिधारी ... !



---संजय कुलकर्णी.


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